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Monday, 1 June 2015

WHAI IS A COMPUTER VIRUS

SHAIRY

  न तुझे पास अपने बुला सके   
  न तेरी याद को ही भुला सके   
एक आस दिल में जगी रही  
न जज़्बात को ही सुला सके !

एक आँख पुरनम

एक आँख पुरनम

  न तुझे पास अपने बुला सके   
  न तेरी याद को ही भुला सके   
एक आस दिल में जगी रही  
न जज़्बात को ही सुला सके !
तू पलट के ऐसे चला गया
 ज्यों कभी न देखा हो हमें   
न आवाज़ देते ही बना
न नज़र से तुझको बुला सके !
तुझे ज़िंदगी की तलाश थी
तू खुशी की राह पे चल पड़ा
हमें चाह दरिया ए दर्द की
कि खुदी को उसमें डुबा सकें !
तुझे रोशनी की थी चाहतें
तूने चाँद तारे चुरा लिये
हमें हैं अंधेरों से निस्बतें
कि ग़मों को अपने छिपा सकें !
तेरे लब पे खुशियाँ खिली रहें
या खुदा दुआ ये क़ुबूल कर
जो मोती गिरें मेरी आँख से  
तेरी राह में वो बिछा सकें !

GOD TO PRAY

भगवान, मैंने सुना है, तू है,
अगर है, तो कुछ ऐसा कर दे 
कि मैं बेसहारों का सहारा,
बेघरों की छत बन जाऊं,
मैं गूंगों की ज़ुबां,
लंगड़ों की टाँगें,
अंधों की आँखें बन जाऊं.

मैं रोते बच्चों का खिलौना,
मरीज़ों की दवा बन जाऊं,
भूल चुके हैं उनके अपने जिनको,
मैं उनकी उम्मीद का दामन बन जाऊं.

तोड़ कर रख दे जो हौसला अँधेरे का,
मैं वो रौशन दिया बन जाऊं,
जीवन में जिनके पसर चुकी है रात,
मैं उनके लिए नई सुबह बन जाऊं.

ठण्ड की रातें जो गुज़ारते हैं खुले में,
मैं उनके बदन का लिहाफ़ बन जाऊं,
भीगी रहती हैं जिनकी आँखें हरदम,
मैं उनके होंठों की मुस्कान बन जाऊं.

भगवान, तू है तो कुछ ऐसा कर दे,
मैं अपने-पराए से ऊपर उठ जाऊं,
अभी जो मैं हूँ, मैं वो न रहूँ, 
ऐसा कर दे कि कुछ अलग हो जाऊं.