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Monday, 1 June 2015

GOD TO PRAY

भगवान, मैंने सुना है, तू है,
अगर है, तो कुछ ऐसा कर दे 
कि मैं बेसहारों का सहारा,
बेघरों की छत बन जाऊं,
मैं गूंगों की ज़ुबां,
लंगड़ों की टाँगें,
अंधों की आँखें बन जाऊं.

मैं रोते बच्चों का खिलौना,
मरीज़ों की दवा बन जाऊं,
भूल चुके हैं उनके अपने जिनको,
मैं उनकी उम्मीद का दामन बन जाऊं.

तोड़ कर रख दे जो हौसला अँधेरे का,
मैं वो रौशन दिया बन जाऊं,
जीवन में जिनके पसर चुकी है रात,
मैं उनके लिए नई सुबह बन जाऊं.

ठण्ड की रातें जो गुज़ारते हैं खुले में,
मैं उनके बदन का लिहाफ़ बन जाऊं,
भीगी रहती हैं जिनकी आँखें हरदम,
मैं उनके होंठों की मुस्कान बन जाऊं.

भगवान, तू है तो कुछ ऐसा कर दे,
मैं अपने-पराए से ऊपर उठ जाऊं,
अभी जो मैं हूँ, मैं वो न रहूँ, 
ऐसा कर दे कि कुछ अलग हो जाऊं.

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